By Manish Aggarwal
Contributing Author for Spark Igniting Minds
न्याय की गुहार में
कानून की फुहार हुई
बिक गया सब उसका
जिसे न्याय की दरकार हुई!
वर्दी थी कईं रंग की
नई शैली से पहचान हुई
मुफ्त में न्याय मिला
जीत पैसे की हुई!
सच की बात कौन बोले
चर्चा हार - जीत की हुई
खेल साधन ने था खेला
अदालत रंगमंच हुई!
न्याय की किताब थी
न्याय के थे लोग सब
थी खोज न्याय की जहाँ
था तलब हो रहा प्रमाण वहाँ!
था दबदबा तारिख का
हर शब्द पैसों में तुला
बाजार के थे नियम सारे
हृदय बंद कमरे, व्यापार खुला!
(Featured Image by Gordon Johnson from Pixabay)
About the Author
Manish Kumar Aggarwal, The Mindfood Chef, is a life coach and an author, He encourages and guides people towards realizing awareness via inner communication. He spreads the message of feeling gratitude, joy, and abundance.
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