By Manish Aggarwal
Contributing Author for Spark Igniting Minds
अहंकार की फांस से, साबुत बचा न एक
पर्वत से पत्थर हुआ, हो गया सूखी रेत!
संग गंगा-यमुना के बही, संग करूणा सागर अनेक
मैं तो सूखी ही रही, रहती क्रोध समेत!
जो उपजा कंकर भया, मैं का कर्म न कोई नेक
दूर-दूर रहते सभी, मानो भेत-प्रेत!
धैर्य के जल से सींचे सभी, हृदय स्वीकार करे प्रत्येक
माटी बन महके तभी, जीवन दे बन कर खेत!
About the Author
Manish Kumar Aggarwal, The Mindfood Chef, is a life coach and an author, He encourages and guides people towards realizing awareness via inner communication. He spreads the message of feeling gratitude, joy, and abundance.
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